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हमारे एक व्यक्तिगत कोर्स में बाइबल में अपनी पसंद की किसी एक पुस्तक के संपूर्ण अध्ययन में हिस्सा लीजिए। चाहे आप बाइबल में अपनी पसंद की पुस्तक की गहन सूक्षम समझ चाहते हैं, किसी पुस्तक को बेहतर समझना चाहते हैं जिसकी व्याख्या करने में कठिनाई होती है, या एक बाइबल की कक्षा या अध्ययन समूह को शिक्षा देने से पहले एक रिफ्रेशर कोर्स चाहते हैं, हमारे व्यक्तिगत कोर्स बाइल के संदेश संबंधी आपकी जानकारी को गहन करने के लिए एक आदर्श तरीका हैं।

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अपनी गति के अनुसार सीखें

धर्मग्रंथों के माध्यम से ऑनलाइन स्कूल आपको एक संगठित ढाँचा प्रदान करता है जबकि अभी भी आपको अपनी गति से अध्ययन करने में समर्थ बनाता है।

सीखने की सभी स्तरों के लिए एकदम सही

चाहे आप एक नये इसाई हों या प्रभु के संदेश के अनुभवी विद्यार्थी, प्रत्येक धर्मग्रंथों के माध्यम से कोर्स हरेक व्यक्ति के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध करवाता है।

एक कोर्स के साथ क्या आता है?

प्रत्येक कोर्स आपकी जरूरत की हर एक चीज के साथ मिलता है। अमूल्य डिजीटल टेक्स्टबुक सहित डाउनलोड सामग्री कोर्स के समाप्त होने पर आपके अपने पास रखने के लिए हैं। प्रत्येक कोर्स को पूरा करने के लिए आपके पास 50 दिन हैं और यदि आप कोर्स की अवधि बढ़ाना चाहते हैं तो आप ऐसा आरंभिक 50 दिन समाप्त होने पर कम की गई कीमतों में कर सकते हैं।

अनुभवी प्रोफेसरों और विद्वानों द्वारा लिखित एक डिजिटल पाठ्यपुस्तक

मुख्य अवधारणाओं की पहचान में मदद के लिए 5 अध्ययन गाइडें

सफलतापूर्वक अध्ययन सुनिश्चित करने के लिए 6 परीक्षाएं

आपको ट्रेक पर बने रहने में मदद के लिए एक अध्ययन गति गाइड

अनुपूरक सामग्रियां जैसे नक्शे, चार्ट, वीडियो और बहुत कुछ

वह कोर्स चुनें जो आप अध्ययन करना चाहते हैं।

हमारे कोर्स एक समय में एक ही लेने के लिढ डिजाइन किए गए हैं। हमारे सभी उपलब्ध कोर्स नीचे दिए गए हैं। अपनी पसंद का कोर्स पूरा करने पर आपके पास अगले कोर्स पर बढ़ने या हमारे उपलब्ध कोर्सों में से कोई एक चुनने का विकल्प होगा।

आपको कोर्सों के विशिष्ट समूह को पूरा करने पर उपलब्धि प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। ये समूह निम्नलिखित रंग द्वारा निरूपित किए गए हैं।

न्यू टेस्टामेंट

न्यू टेस्टामेंट इतिहास 1 - 11
न्यू टेस्टामेंट थियोलॉजी 1 12 - 18
न्यू टेस्टामेंट थियोलॉजी 2 19 - 26
1

मसीह का जीवन,1

डेविड एल.रोपर के मसीह के जीवन के विषय में गहरे विचार उसके जन्म से प्रारम्भ होते हैं और वे सुसमाचार के चार विवरणों से उसके जीवन के समानांतर वृत्तान्त को प्रस्तुत करते हैं।
2

मसीह का जीवन, 2

डेविड एल.रोपर के अध्ययन, मसीह का जीवन का दूसरे भाग से यीशु के जीवन के अंतिम दिन, जिसमें उसकी मृत्यु, दफन और जी उठना सम्मिलित है।
3

मत्ती 1—13

मत्ती की अपनी कमेंट्री के पहले भाग में, सेलर्स एस. क्रेन, जूनियर ने राजा के जन्म और आने वाले राज्य के विषय पर उसकी शिक्षाओं की समीक्षा की है। उन्होंने बताया कि कैसे यीशु के प्रति लोगों की प्रतिक्रियाएं तूफान का रूप लेने लगीं।
4

मत्ती 14—28

सुसमाचार के मत्ती के विवरण के अपने अध्‍ययन के पहले भाग में सेलर्स एस. क्रेन, जूनियर ने यीशु की पृथ्‍वी पर की सेवकाई के दौरान उसकी दी शिक्षाओं और किए गए उसके कामों के विश्‍लेषण को जारी रखा है। बहुत से लोगों ने राजा के रूप में उसकी भूमिका को गलत समझ लिया था और जिन्‍होंने उसे ठुकरा दिया था उन्‍होंने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया था। मरे हुओं में से उसके जी उठने और पिता के पास ऊपर उठा लिए जाने के बाद ही मसीह के चेलों को उसके जीवन और मृत्‍यु के महत्‍व की समझ आने लगी थी।
5

मार्क

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6

ल्युक 1:1—9:50

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7

ल्युक 9:51—24:53

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8

जॉन 1—10

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9

जॉन 11—21

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10

प्रेरितों 1—14

डेविड एल. रोपर प्रेरितों 1-14 में दिखाए गए प्रभु की कलीसिया के आरम्‍भ के विवरणों की गहराई में ले जाते हैं
11

प्रेरितों 15—28

डेविड एल. रोपर यह अध्‍ययन प्रेरितों 15-28 में वर्णित पौलुस की मिशनरी यात्राओं के सामर्थपूर्ण विवरणों पर केन्द्रित है।
12

रोमियों 1—7

डेविड एल. रोपर पौलुस की शिक्षा को समझाते हैं कि उद्धार मूसा की व्‍यवस्‍था की आज्ञा मानने से नहीं मिलता। न ही यह निजी गुणों या भलाई से मिलता है। यहूदियों और अन्‍यजातियों दोनों को यह बताया गया है कि उद्धार अनुग्रह से मिलता है, जिसे परमेश्‍वर देता है, और मनुष्‍य का वफादारी से उसकी आज्ञा मानना भी आवश्‍यक है।
13

रोमियों 8—16

यह देखते हुए कि पौलुस ने किस प्रकार रोम के मसीही लोगों को बदले हुए जीवन को जीने और मसीह की देह की विजय को दूसरों के साझा करने के लिए प्रोत्‍साहित किया, डेविड एल. रोपर ने रोमियों की पुस्‍तक में अपने लेख को जारी रखा है।
14

1 कोरिंथियंस

इस पत्री में पहली सदी के कुरिन्थियों के मसीहियों को, पौलुस ने कई प्रश्नों को थोड़े बदलाव के साथ सम्बोधित किए, जो आज भी कलीसिया के लिये समस्या का कारण है। फूट, अनैतिकता, सैद्धातिक भ्रम और सांसारिकता ने इस मण्डली को उलझन में डाल रखा था; और उनके क्लेश—घमण्ड—की एक जड़ अभी भी हमारे बीच में आम है। डूआन वार्डन की आयत-के बाद-आयत का अध्ययन बाइबिल आधारित पाठ में कठिन मुद्दों को हल करता है और हमारे अपने समय में रहने वाले मसीहियों के लिये व्यावहारिक अनुप्रयोग को दर्शाता है। पौलुस जानता था कि सभा से सम्बन्धित क्लेशों पर नियन्त्रण पाने की कुंजी प्रेम है। अध्याय 13 में अपनी सुविख्यात और परिचित चर्चा में, प्रेरित ने परिभाषित किया और इस तरह के प्रेम का वर्णन किया जो कलीसिया के निर्माण के लिये आवश्यक है कि मसीह क्या चाहता है।
15

2 कोरिंथियंस

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16

गलाटियन्स

गलातिया के मसीहियों के नाम पौलुस का पत्र नई कलीसियाओं की उन शिक्षकों से रक्षा करने के लिए लिखा गया जो यह चाहते थे कि उद्धार पाने के लिए अन्‍यजातियों का खतना किया जाए। इस मांग को पूरा करने से उद्धार के उनके एकमात्र माध्‍यम मसीह में उनका विश्‍वास नष्‍ट हो जाना था। पौलुस की इस पत्री में सुसमाचार के वास्‍तविक महत्‍व पर ज़ोर दिया गया है। मसीह में सब को एक समान बचाया गया है। भाइयों और बहनों के रूप में हमें जातीयता या आर्थिक स्थिति जैसी विभाजित करने वाली रेखाओं के बिना, मिलकर आराधना और सेवा करनी आवश्‍यक है। आज के मसीही लोगों के लिए अत्‍याधिक मूल्‍यवान टीका का आकार देने के लिए जैक मैकिनी ने यूनानी भाषा की अपनी विस्‍तृत पृष्‍ठभूमि का इस्‍तेमाल किया।
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इफिसियों और फिलिप्पियों

लेखकों ने इफिसुस (जे लॉकहार्ट) और फिलिप्पी (डेविड एल. रोपर) की आरम्भिक कलीसियाओं के नाम पौलुस के इन दो पत्रों का व्‍यवहारिक अध्‍ययन प्रस्‍तुत किया है। मसीही लोगों से सांसारिकता के विरुद्ध युद्ध में डटने और मसीह की देह के अंग और स्‍वर्ग के नागरिक होने के नाते एक होने को कहा गया है।
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कुलुस्सियों और फिलेमोन

कुलुस्सियों की पुस्तक की अनन्त सच्चाइयों और सबकों से पहली सदी की कलीसिया को आकार देने में सहायता मिली। पौलुस ने मसीही लोगों को समझाया कि भक्तिपूर्ण जीवन शैली को कैसे बनाए रखना है और विभिन्‍न विश्‍वासों वाले समाज में मसीह को ऊंचा करना है। फिलेमोन की पुस्तक जो लगभग उसी समय लिखी गई मसीही सम्बान्धों के लिए मार्गदर्शन देती है। ओवेन डी. ऑलब्रिश्ट और ब्रूस मैकलार्टी ने व्‍यवहारिक सबक तैयार किए हैं।
19

1 और 2 थिस्सलुनीकियों

अर्ल डी. एडवर्ड की इस पुस्‍तक में थिस्सलुनीके के नये विश्वासियों के लिए इस भाग को वाक्‍य के अंत में रखें तो पढ़ना आसान लगेगा जिनको क्लेश का सामना करते हुए उत्साह की आवश्यकता थी। पुस्तक मसीह के दूसरे आगमन पर उस शिक्षा को जिस पर आज आमतौर पर लोगों में नासमझी पाई जाती है, प्रेरित के निर्देश को समझाने का काम करती है
20

1 और 2 टिमोथी और टाइटस

जब पौलुस अपने जीवन के अंतिम क्षणों की ओर अग्रसर हो रहा था तो उसने अपने आत्मिक “पुत्र” तीमुथियुस और तीतुस को उनके सेवा क्षेत्र इफिसुस और क्रेते में, उत्साहिसत करने और ईश्‍वरीय अगुआई देने के लिए लिखा। पौलुस ने उनसे आग्रह किया कि वे प्रभु की कलीसिया को प्रभावकारी व फलदायक सेवा प्रदान करें और उनको सत्य की रक्षा करना, उसको थामे रहना और उसका अभ्यास करना था। डेविड रोपर (David Roper)
21

इब्रानियों

बाइबल की सबसे लुभावनी पुस्त कों में से एक इब्रानियों की शिक्षा और थियोलॉजी से मसीह की हमारी समझ और पूरी बाइबल की हमारी समझ को आकार देने में सहायता मिली है। मार्टल पेस ने पुस्तक के लेखक की पहचान की थ्‍योरियों की समीक्षा की है और विश्वास के चलन के साथ-साथ मसीह और उसके काम को बारीकी से बताया है। मसीही लोगों को याद दिलाते हुए कि उन्होंने मसीह के प्रति निष्ठा क्यों रखी है, यह पुस्तकक अद्भुत प्रोत्साहन देती है।
22

जेम्स

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1 और 2 पीटर और जूदास

ये पत्रियां परमेश्वर के अनुयायियों को प्रोत्साहित करती हैं जब उन्हें बाहर तथा स्थानीय मंडली में अन्दर से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ड्यूएन वार्डन इन तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों की गहरी समझ प्राप्त करने में बाइबल के विद्यार्थियों की सहायता करते हैं।
24

1, 2 और 3 जॉन

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प्रकाशितवाक्‍य 1—11

प्रकाशिवाक्‍य के पहले भाग पर डेविड एल. रोपर का टीका बाइबल की इस प्रसिद्ध पुस्‍तक की अच्‍छी जानकारी देने वाला है। अनुमान में से सच्‍चाई छांटने का एक बड़ा औजार प्रकाशितवाक्‍य की यह पुस्‍तक व्‍याख्‍या के कई ढंगों का विवरण देती है।
26

रहस्योद्घाटन 12—22

इस अध्‍ययन में उस भेद को खोला गया है जो लड़ाइयों, पशुओं और क्रोध के कटोरों के रूपकों को घेरे हुए है। अंत समय पर डेविड एल. रोपर की टिप्‍पणियां अरमगीदोन और मसीह के राज्‍य पर उलझाने वाली थ्‍योरियों को साफ कर देती हैं। फोकस प्रकाशितवाक्‍य के वास्‍तविक संदेश यानी मसीही विजय पर है।

ओल्ड टेस्टामेंट

ओल्ड टेस्टामेंट इतिहास 1 27 - 32
ओल्ड टेस्टामेंट इतिहास 2 33 - 38
हिब्रू काव्य 39 - 43
ओल्ड टेस्टामेंट पैगम्बर 1 44 - 48
ओल्ड टेस्टामेंट पैगम्बर 2 49 - 51
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जेनेसिस 1—22

उत्पत्ति की इस परमेश्वर की किताब के विस्तार विवरण में, विलियम डब्लू. ग्राषम (William W. Grasham) ने, सृष्टि के वृत्तांत पर, अब्राहम और उसके वंशजों का परमेश्वर के लोगों के रूप में चुनाव किए जाने, और परमेश्वर ने मनुष्यों की रचना की और उन्हें बचाने की परमेश्वर की योजना का परिचय, पर गहन शोध किया है। मनुष्यों की कहानी ही वास्तव में परमेश्वर की कहानी है, जो उसकी सामर्थ्य, उसकी धार्मिकता, उसकी प्रतिज्ञाओं और उसकी विश्वास योग्यता का स्पष्ट वर्णन करती है।
28

उत्पत्ति 23-50

गौड्स बुक ऑफ़ बेगिन्निंग्स (परमेश्वर की आरंभ की पुस्तक) पर अपनी कमेंटरी के इस भाग में, विलियम डब्ल्यू. ग्राशम (William W. Grasham), दैवी प्रकार से चुने गए इस्राएल के लोगों के विकास को, गहराई से देखना जारी रखते है। अब्राहम के समय से कहानी को आगे बढ़ाते हुए यूसुफ़ के परिवार के मिस्र में उससे जुड़ने तक, लेखक, इतिहास में और व्यक्तिगत जीवनों में परमेश्वर की दैवी देखभाल पर रौशनी डालते हैं।
29

निर्गमन

निर्गमन एक रुचिकर कहानी बताती है कि कैसे परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र की बन्धुवाई से छुड़ाया और उन्हें आशा दी। परमेश्वर के पुराने नियम के लोगों की यात्रा का यह अध्ययन परमेश्वर की शक्ति, व्यवस्था और अपने आराधकों के बीच रहने की उसकी इच्छा पर प्रकाश डालता है। कोय डी. रोपर (Coy D. Roper)
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लैव्यव्यवस्था

लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में, परमेश्वर ने याजकीय पद्धति को स्थापित किया और निवास स्थान में चढ़ाए जाने के लिए विभिन्न बलिदानों को ठहराया। यद्यपि मसीही व्यवस्था के आधीन नहीं हैं, परन्तु हमें आज परमेश्वर के पवित्र जन होने के लिए बुलाया गया है। कोय डी. रोपर (Coy D. Roper)
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गिनती

गिनती की पुस्तक में वर्णन किए गए व्याख्यानों में एक लालची भावी कहनेवाला, एक बोलनेवाली गदही, तेज़ विषवाले साँपों और विरोधियों का जिन्हें धरती ने निगल लिया के चित्रण मिलते हैं। कोय डी. रोपर (Coy D. Roper) बताते हैं कि इस पुस्तक में की गई गणनाएँ परमेश्वर की प्रकृति को कैसे दर्शाती हैं, जिसने जंगल के मार्ग पर यात्रा कर रहे अपने लोगों का मार्गदर्शन किया और उनके बच्चों को प्रतिज्ञा की भूमि को अपना करने की आज्ञा दी।
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पेज क्रमांक

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यहोशू

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न्यायधीश और रूथ

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1 और 2 सैम्युल

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36

1 और 2 शासक

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1 और 2 इतिहासक्रम

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एजरा, नहेमायाह, और एस्थर

एज्रा, नहेम्याह, एस्तेर के बिना हमें बहुत कम जानकारी होती कि फारसी साम्राज्य के समय में परमेश्वर के लोगों के साथ क्या हो रहा था। बाइबल के इतिहास की यह तीन महान पुस्तकें परमेश्वर की सार्वभौमिकता पर बल देती हैं, उसके वचन के प्रति विश्वासयोग्य रहने, तथा ईश्वरीय अगुवों के होने के महत्व को बताती हैं। कोए डी. रोपर (Coy D. Roper) की निर्वासितों द्वारा यरूशलेम के पुनर्निर्माण, व्यवस्था के प्रति उनके पुनःसमर्पण, तथा एस्तेर के साहस पर की गई टिप्पणियाँ हमें अपने विश्वासयोग्य परमेश्वर की प्रतिबद्धता से सेवा करने का आह्वान करती हैं।
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नौकरी

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भजन 1

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भजन 2

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कहावतें

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सभोपदेशक और सुलैमान के गीत

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यशायाह

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यिर्मयाह 1-25

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यिर्मयाह 26-52 और विलाप

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ईजेकील

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डेनियल

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छोटे पैगम्बर, 1

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छोटे पैगम्बर, 2

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छोटे पैगम्बर, 3

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Extra Studies

Archaeology 52 -